
मैं कभी कहीं भी रहता हूँ,
बहुधा यह सोचा करता हूँ,
तुम आती ना जो जीवन में,
बसती ना मेरे चितवन में,
तो क्या मैं यही होता?
ना बसती तुम आँखों में,
मधुवन की सुगंध सी सांसों में,
धड़कन भी मेरी रुक-रुक कर,
तुम्हें पुकारती ना पल-पल,
तो क्या मैं यही होता?
जगाती ना सोये सपनों को,
चहुँ ओर ना भरती रंगों को,
मुस्का कर ना मुझे रिझाती तुम,Read More! Earn More! Learn More!