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प्रयास करो [एक प्रेरणा दायक कविता]

१८ मात्राओं के चरण में लिखा एक सम मात्रिक छंद (विवरण नीचे है)


हुआ क्या कि आईं कुछ बाधाएं,

शंका-अंदेशा ने बास किया,

हुए विफल तो इसमें डर कैसा,

न लो संताप कि अप्रयास किया।


गिरे हो तो स्वयं उठना सीखो,

अंतः में अडिग एक आस भरो,

गिनो मत कितने कहाँ घाव लगे,

पुनः पुरजोर नया प्रयास करो।


स्वभाव कंकड़ियों की तीक्ष्ण हुईं,

कठोर चरणतल को बनाएंगे,

हुआ धूप तपन का सघन आलय,

तपा कुंदन तुल्य दमकाएंगे।


पड़ाव कई अभी भी हैं बाकी,

चले डगर पर बढ़ अब डिगो नहीं,

दुसाध्य श्रम ही सिद्

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