सात सुरों की सुरीली सरगम,
सुहानी रंगोली में रंग कई,
पर बलिदान के एक रंग से,
निखरते प्रेम के रूप कई।
वह क्या जाने रूप प्यार का,
जिस ह्रदय ने पीड़ा सही नहीं,
उन अधरों की मुस्कान व्यर्थ,
जो आँखें कभी भींगी ही नहीं।
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सात सुरों की सुरीली सरगम,
सुहानी रंगोली में रंग कई,
पर बलिदान के एक रंग से,
निखरते प्रेम के रूप कई।
वह क्या जाने रूप प्यार का,
जिस ह्रदय ने पीड़ा सही नहीं,
उन अधरों की मुस्कान व्यर्थ,
जो आँखें कभी भींगी ही नहीं।
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