
कुछ जीवन की प्यारी बातें,
अपनों की अपनी सी बातें,
कुछ शब्दों से, कुछ चुप्पी से,
याद आती हैं बीती बातें।
घड़ी भी कितनी तेज घूमती,
चलती सुई कभी ना थमती,
हय की प्रलय की तेज गति सी,
धूल उड़ाती आगे बढ़ जाती।
फिर भी जीवन की यह पाही,
भूल भी जाए कैसे राही,
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