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तनिक शेष मादकता दे दो!

ओ मधु : 

जो खड़े हुए गिरते-उठते,

 विह्वल कपोल कंठ पाते,

फटती सूखी वाणी अर्थक,

जिनके स्वर धूमिल हो जाते।

उनको नव विश्वास,चेतनता दे दो;

तनिक शेष मादकता दे दो।

तनिक शेष मादकता दे दो।।


टूटी तिर्यक सीढ़ी श्रृंख पर,

चढ़-चढ़ कर परिछाई हारी,

पड़ रहीं तपी हथेली

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