![हाँ हम ही लड़के हैं!'s image](/images/post_og.png)
हाँ हम ही लड़के हैं,
वही जिनके पैदा होने पर तो मिठाईयाँ बाँटी जाती है,
मगर ज़िंदगी का बीज नीम के रस में रोप दिया जाता है,
हमारी इच्छा, चाहत, रुझान कुछ भी हो,
पराई उम्मीदों को हमपर थोप दिया जाता है,
किसी महान पुरुष ने कह दिया था...
की 'मर्द को कभी दर्द नहीं होता',
मगर हम कहते हैं,
जिसे 'दर्द नहीं होता वो मर्द नहीं होता'
कैसे!?
बेटा घर से बहुत दूर हो, तो बाप को दर्द होता है,
बेटी विदा हो, तो बाप को दर्द होता है,
भाई गलत रास्ते पर हो, तो भाई को दर्द होता है,
कमाने वाला एक हो और बहन अविवाहित हो, तो भईया को दर्द होता है,
बाप कर्ज़ में और बेटा बेरोज़गार हो, तो बेटे को दर्द होता है,
माँ को गहरा मर्ज़ हो और बेटा असहाय हो, तो बेटे को दर्द होता है,
ये सब सहते हुए आत्मा भीग जाती है पर आँखों में पानी का एक कतरा न होता है,
क्योंकि सबने इनको ये कहकर बंदिश में रखा हुआ है कि "लड़का थोड़ी न
वही जिनके पैदा होने पर तो मिठाईयाँ बाँटी जाती है,
मगर ज़िंदगी का बीज नीम के रस में रोप दिया जाता है,
हमारी इच्छा, चाहत, रुझान कुछ भी हो,
पराई उम्मीदों को हमपर थोप दिया जाता है,
किसी महान पुरुष ने कह दिया था...
की 'मर्द को कभी दर्द नहीं होता',
मगर हम कहते हैं,
जिसे 'दर्द नहीं होता वो मर्द नहीं होता'
कैसे!?
बेटा घर से बहुत दूर हो, तो बाप को दर्द होता है,
बेटी विदा हो, तो बाप को दर्द होता है,
भाई गलत रास्ते पर हो, तो भाई को दर्द होता है,
कमाने वाला एक हो और बहन अविवाहित हो, तो भईया को दर्द होता है,
बाप कर्ज़ में और बेटा बेरोज़गार हो, तो बेटे को दर्द होता है,
माँ को गहरा मर्ज़ हो और बेटा असहाय हो, तो बेटे को दर्द होता है,
ये सब सहते हुए आत्मा भीग जाती है पर आँखों में पानी का एक कतरा न होता है,
क्योंकि सबने इनको ये कहकर बंदिश में रखा हुआ है कि "लड़का थोड़ी न
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