कमज़ोर सा जिस्म था
शायद एक गोली से भी खत्म हो सकता था
हो सकता है गोली भी ना चलानी पड़ती
कुछ दिन में अपने आप ही मर जाता
जिस्म ही तो था
तीन गोलियां बर्बाद कर दी
और वो मरा भी नहीं
जिसका मरना मकसूद था
वो तो खुशबू सा हवा में बिखर गया
हज़ारों गोलियां आज भी मारी जाती है
हज़ारों बार जलाया जाता है
फांसी पर भी बेहिसाब बार लटकाया जात
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