वो हमारे ख्वाब बेंचते होंगे।
कितनी सिद्दत से सोंचते होंगे।।
फिरसे पहना है हार कागज़ का।
किसी खुशबू को नोचते होंगे।।
किसने कहा कि खत्म करेंगें वो।
हमारी तकलीफों से खेलते होंगे।।
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वो हमारे ख्वाब बेंचते होंगे।
कितनी सिद्दत से सोंचते होंगे।।
फिरसे पहना है हार कागज़ का।
किसी खुशबू को नोचते होंगे।।
किसने कहा कि खत्म करेंगें वो।
हमारी तकलीफों से खेलते होंगे।।