
आज खामोश फिर बैठा हूँ मै
समुन्दर के इस पार
उनके सवाल आज भी हैं वही
वो पूछते हैं कौन हूँ मैं
इतने राज क्यूँ हैं मन में मेरे |
आज कुछ है कहने को और बताने को
आज खामोश फिर बैठा हूँ मै ||
तपती धुप में अगर एक पत्ते की छाँव महसूस कर पाते
तो ये जान जाते क्या महसूस करता हूँ मैं
भरी बरसात में अगर एक नाख़ूनभी सुखा रख पाते
तो ये
Read More! Earn More! Learn More!