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मैं तेरे कितने पास हूं

तू चुनावी वादा।
मैं तेरा विकास हूं।।
हकीकत जानना हैं।
ज़मीन पर आओ ,
देखो मैं तेरे कितने पास हूं।।

तू NHAI की हाइवे।
मैं ग्राम सामाज का पाथ हूं।

तू महलों में रहती है।
मैं उसी के नीचे ,
सोया पुथपात पर कई रात हूं।।

तुमने नदियों में फेके ,
कई गर्म कपड़े है।
मैं किनारे से उठा कर,
पहनता कई साल हूं।।

तुमने खर्च कर दिए।
एक छींक पर कई हजार।।
मेरे जर्जर स्वास्थ्य का।
ना कोई इलाज हूं।।

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