
।। मैं क्या चाहता हूं।।
ना इश्क, ना मोहब्बत, ना प्यार चाहता हूं।
बस थोड़ी सी नींद और थोड़ा आराम चाहता हूं।।
बरसों से थी जिससे मिलने की ख्वाहिश, वो आज आंखों के सामने है।
मगर मैं आंखों को मूंदकर, हकीकत से दूर जाना चाहता हूं।।
बस थोड़ी सी नींद और थोड़ा आराम चाहता हूं।।
पहुंचा हूं उस मुकाम पर, जो कभी सपना - सा लगता था।
कितनी रातें काटी जागकर, वो संघर्ष अपना - सा लगता था।।
उस टूटे पुराने खाट प
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