इम्तिहाँ's image
 मैं अपनी मोहब्बत का कुछ ऐसे इम्तिहाँ लूँगा
उसकी गलतियों को, नादानियों का नाम दूँगा

मैं वाकिफ़ हूँ उसके कहानियों के हरएक किरदार से
वो सुनाएगी और, मैं जान के अनजान बन जाऊंगा

मुझे पता है, ये इल्म है उसको की हमारी मंज़िल नहीं
उसके झूठे दिलासे को भी, सच
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