बरसात's image


अब स्थिर हो चला है मेघों का नाद

थम चुका है बूँदों का नृत्य

आज सामूहिक स्नान किया है

जंगल के साथ पहाड़ों ने भी 


जैसे रोमरोम भीग गया हो झूमते पेड़ों का

तभी उनका रंग 

कुछ और भी गाढ़ा  पक्का हो आया है


पत्तियों पर सुस्ताते बूँदों को 

छेड़ता पवन 

अपने मंद वेग से गति दे रहा है


कभी प्यास से अधमरे हो 

Read More! Earn More! Learn More!