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कह नहीं पाया


तकरारों के तूफानों में दिल का हिस्सा बह गया
सन्नाटों की दूरीयों में दिल का किस्सा रह गया

तुम्हारे कडवे, चुभते ताने मैं सह नहीं पाया
कितने सही हो तुम, मैं तब कह नहीं पाया

छोटी छोटी बातें कब इतनी बडी बन गई पता ही नहीं चला
मैं सही, तुम गलत का वो जहर कब चढा पता ही नहीं चला

एक बिस्तर में भी एक न हो सके
तुम अपने और मैं अपने अ

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