![ये साल ऐसे गुजरा's image](/images/post_og.png)
घरों, फैक्टरियों के लटके तालों में गुजरा,
मीलों चलते पांवों के छालों में गुजरा।
इंसान से इंसानियत बिछड़ती चली गयी,
ये साल इस बार कई सालों में गुजरा।
किसान फसल की लागत को तरसता रहा,
पैसा नफ़े नुकसान
Read More! Earn More! Learn More!
घरों, फैक्टरियों के लटके तालों में गुजरा,
मीलों चलते पांवों के छालों में गुजरा।
इंसान से इंसानियत बिछड़ती चली गयी,
ये साल इस बार कई सालों में गुजरा।
किसान फसल की लागत को तरसता रहा,
पैसा नफ़े नुकसान