वक़्त रुकसा गया जो तू बाहोंमे समाया है
फुर्सत में सोचेंगे क्या खोया क्या पाया है
यूँ तो कई बार मिलते रहे थे उनसे
आज पहली बार दिल खोलके आया है
शतरंज की बाज़ी हारी,रंज क्या गम क्या
जब जीतने वालेने खुद हमें अपनाया है
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वक़्त रुकसा गया जो तू बाहोंमे समाया है
फुर्सत में सोचेंगे क्या खोया क्या पाया है
यूँ तो कई बार मिलते रहे थे उनसे
आज पहली बार दिल खोलके आया है
शतरंज की बाज़ी हारी,रंज क्या गम क्या
जब जीतने वालेने खुद हमें अपनाया है