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जागता रहता हूँ देरतक नज़रे बिछाये

जागता रहता हूँ देरतक नज़रे बिछाये

कोई आके मेरी नींदोंसे सपने न चुराये

 

अपनी ही मर्ज़ी के मालिक है हम

है राते अनोखी और दिन भी निराले

 

ज़रुरत न पड़ी दुष्मनोकी कभी

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