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दूरियों फासलों को ढह जाने दो

दूरियों फासलों को ढह जाने दो

अश्क़ थमे नही तो बह जाने दो

कहना चाहती है ये कई अफसाने

नज़रोको आज कुछ कह जाने दो

बाहोंमे आये हो बस यूंही पड़े रहो

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