
चुपकेसे मुझे कुछ कहती हो क्या
मेरी ग़ज़लों में तुम रहती हो क्या
समझता हूं मै सब कुछ समझता हूं
समझता नहीं दिल समझती हो क्या
उलझे रहते हैं जज़्बात ओ
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चुपकेसे मुझे कुछ कहती हो क्या
मेरी ग़ज़लों में तुम रहती हो क्या
समझता हूं मै सब कुछ समझता हूं
समझता नहीं दिल समझती हो क्या
उलझे रहते हैं जज़्बात ओ