
उम्मीद-ए-सहर में बैठा है आलम सारा,
कोई कहता है, दवाओं का ले सहारा,
कोई कहता है, दुआओं का होगा असर।
मैं, दवा भी लूँगा, और दुआ भी माँगूगा,
रहूँगा अलहदा, जब तक होगी ना सहर।
रार नहीं ठानूँगा, हार नहीं मानूँगा।
जो द
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उम्मीद-ए-सहर में बैठा है आलम सारा,
कोई कहता है, दवाओं का ले सहारा,
कोई कहता है, दुआओं का होगा असर।
मैं, दवा भी लूँगा, और दुआ भी माँगूगा,
रहूँगा अलहदा, जब तक होगी ना सहर।
रार नहीं ठानूँगा, हार नहीं मानूँगा।
जो द