लॉक-डाउन हुआ शहर सारा,
जुदाई के दिन हैं।
सबूत-ए-इश्क़ मैं और क्या दूँ तुझे,
इक दरिया-ए-अश्क़ बहता है, जहाँ है बसेरा मेरा।
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सबूत-ए-इश्क़ मैं और क्या दूँ तुझे,
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