ग़म-ए-ज़िंदगी भुला बैठे हैं अब तो's image
541K

ग़म-ए-ज़िंदगी भुला बैठे हैं अब तो

ग़म-ए-ज़िंदगी भुला बैठे हैं अब तो,

न जाम की तलब है, न साक़ी की।

बेचैन फिर क्यूँ हुए जाता है, दिल ये नादाँ,

Tag: poetry और4 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!