अक्षर रेत पर लिखे मैने,
बैर हवाओं से कर बैठा।
टूटी कश्ती ले चला समंदर,
बैर लहरों से कर बैठा।
अहमक़, हूँ, नादाँ हूँ मैं,
अंधेरों से लड़ने की ज़ि
Read More! Earn More! Learn More!
अक्षर रेत पर लिखे मैने,
बैर हवाओं से कर बैठा।
टूटी कश्ती ले चला समंदर,
बैर लहरों से कर बैठा।
अहमक़, हूँ, नादाँ हूँ मैं,
अंधेरों से लड़ने की ज़ि