आफ़ताब को मुट्ठी में बाँधने's image
542K

आफ़ताब को मुट्ठी में बाँधने

न भीड़ है पीछे, न क़ाफ़िले हैं जुड़े,

अकेला ही करता हूँ मैं, ये सफ़र-ए-ज़िंदगी।

आफ़ताब को मुट्ठी में बाँधने निकले हैं जो,

ज़िंदगी के सफ़र में अक

Tag: poetry और5 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!