पीड़ा's image

धरती का सर्वश्रेष्ठ एक विषविधि: (virus)से सहम गया।अहम् का जो वहम् था वो एक क्षण में निकल गया ।न खींची लकीर इस रोग ने ,हर वर्ग और धर्म इसमें सिमट गया। 


निकल पड़ें है गंतव्य को पद यात्रा पर फटी कमीज,नग्न पैर व घिसे से चप्पल मे निर्धन। भारी 

मन से ,भूखे तन से

 वे गण।मन में विचरण करते-हमने सबका घर बनाया, हमारा कोई घर नही। खून पसीना दिया हमने,हमारा ये शहर नही। क्या मेरे परिश्रम का कोई मूल्य नही।चांद पर पहुंचा इंसान क्या अब इंसान तुल्य नहीं।आस हमारी बहुत ही छोटी थी,दो जून की रोट

Read More! Earn More! Learn More!