
बरगद का पेड़-मेरे घर के सामने
तेरी जड़ें 1 ज़मीन-ए-कल्प को चूमती नसीहत करें
बुनियाद 2 मुस्तहकाम कर ले की राह से कोई मोड़ न ले
शाखाएं आसमां से गुफ्तगू करती 3 मुतासिर करें
बुलन्दी को छूने की तमन्ना छोड़ ना दे
तेरी नाजुक सी टहनियां कोमलता से झुकी
4 आजिज़ी इन से कुछ सबक का दम भरे
तेरी छांव राहगीरों के लिए, माँ का आँचल
तेरी बेइंतहा पत्तों में हजारों पंछी आसरा करें
तेरी लटों में तजुर्बे के झुर्रियों की झलक
बुजुर्गों से कहें, जीने से कहीं किनारा न करें
तेरी शख्सियत सदा तानी, Read More! Earn More! Learn More!