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ठंड और बचपन

ये सर्द रात दिसंबर की,

साथ बरसात ये सावन की,

मन कर रहा फिर बच्चा बन,

तकियों का घेरा कर,

चादर को ओढ़कर,

उस में खुद को समाकर,

पकोड़े हो हाथ में,

गरमा गरम मॅगी भी साथ में,

सब चिंता भूल जाऊ,

"बचपन-झुले" में झूल जाऊ,

ठंड में कां

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