
घर समाज रोजी रोटी के मसले नहीं होते
तो हम कभी तेरे पहलू से निकले नहीं होते
गर होती इन लोगों को किसी से मोहब्बत
तो देख कर हमको साथ यूँ जले नहीं होते
लड़खड़ाते हुओं लोगों को वो देता है सहारा
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घर समाज रोजी रोटी के मसले नहीं होते
तो हम कभी तेरे पहलू से निकले नहीं होते
गर होती इन लोगों को किसी से मोहब्बत
तो देख कर हमको साथ यूँ जले नहीं होते
लड़खड़ाते हुओं लोगों को वो देता है सहारा