कोई ताबीज़ है, दुआ कोई
मुझे लगता है तू ख़ुदा कोई
अक्स अपना भी अब नहीं दिखता
साज़िश-ए-आईना है क्या कोई?
एक अंधी गुफ़ा के जैसा दिल
इब्तिदा है ना इंतिहा कोईRead More! Earn More! Learn More!
कोई ताबीज़ है, दुआ कोई
मुझे लगता है तू ख़ुदा कोई
अक्स अपना भी अब नहीं दिखता
साज़िश-ए-आईना है क्या कोई?
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