सपने's image

बड़ी मुद्दत हुई मुझको

मेरा दिल कुछ मिला ऐसे 

दीवाली की सफ़ाई में 

पुरानी डायरी जैसे

हर इक सफ़्हे पे कुछ सपने

जो पेंसिल से तराशे थे 

कहीं देखे नहीं कोई 

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