
हर घड़ी ये गुनाह करते हैं
ज़िंदगी से निबाह करते है
रोज़ मुझमें ही कुछ दरकता है
रोज़ ख़ुद को तबाह करते हैं
कोई खाता-बही ना रख पाये
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हर घड़ी ये गुनाह करते हैं
ज़िंदगी से निबाह करते है
रोज़ मुझमें ही कुछ दरकता है
रोज़ ख़ुद को तबाह करते हैं
कोई खाता-बही ना रख पाये