बे-'अक़्लों से लड़े रहे
अक़्ल पे पत्थर पड़े रहे
छोटी सोच समझ वाले
लफ्फ़ाज़ी में बड़े रहे
बाहर बाहर ख़ुशबू थी
भीतर भीतर सड़े रहे<
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बे-'अक़्लों से लड़े रहे
अक़्ल पे पत्थर पड़े रहे
छोटी सोच समझ वाले
लफ्फ़ाज़ी में बड़े रहे
बाहर बाहर ख़ुशबू थी
भीतर भीतर सड़े रहे<