
वक्त की बिसात पर हर इंसान
तौला जाता है,
कभी कम तो कभी ज्यादा हो जाता है,
यह बात दीगर है की मुफलिसी से घिरा इंसान,
सदा कम ही आंका जाता है ।
जिस तराजू का दोनों पलड़ा कुदरत
का माप है,
फिर इंसान क
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वक्त की बिसात पर हर इंसान
तौला जाता है,
कभी कम तो कभी ज्यादा हो जाता है,
यह बात दीगर है की मुफलिसी से घिरा इंसान,
सदा कम ही आंका जाता है ।
जिस तराजू का दोनों पलड़ा कुदरत
का माप है,
फिर इंसान क