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उषा की किरणें

जैसे जैसे रात ढलने लगती है,

सूर्य की आभा निकलने लगती है,

रात्रि की गहरी अन्धेरी कालिमा,

रोशनी में सिमटने लगती है ।

जैसे जैसे रात ढलने लगती है ।

रोशनी से नहाई ये सुबह,

पक्षियों की चहचहाट की मधुर धुन,

जिन्दगी की मधुरस भरी ये सुबह,

उम्मीद की सरगम की है सुबह,

जिन्दगी में सफलता की रून

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