उम्मीदों का चिराग जब बुझने लगे
तो समझो कुछ नया होने वाला है,
मशरूफियों के झंझावात में
प्रकाश पुंज निखरने वाला है,
रात कितनी भी भयावह हो
दिन निकलते ही फिजाएं रोशन हो जाती हैं
फूलों की मुस्कान तरुवर के झोंको से<
Read More! Earn More! Learn More!
उम्मीदों का चिराग जब बुझने लगे
तो समझो कुछ नया होने वाला है,
मशरूफियों के झंझावात में
प्रकाश पुंज निखरने वाला है,
रात कितनी भी भयावह हो
दिन निकलते ही फिजाएं रोशन हो जाती हैं
फूलों की मुस्कान तरुवर के झोंको से<