तुम कहां थे जब मैं विकल था,
देखता रहा राह पर ना आए तुम कभी
ये कैसी तुम्हारी खामोशी का आलम,
तुम चुपचाप मेरे हौसलों का तोड़ते भरम ।
म
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तुम कहां थे जब मैं विकल था,
देखता रहा राह पर ना आए तुम कभी
ये कैसी तुम्हारी खामोशी का आलम,
तुम चुपचाप मेरे हौसलों का तोड़ते भरम ।
म