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सूरज का क्रोध

आज सूरज धरती से नाराज है,

तेज ताप से उगलता आग है,

खुद भी जला रहा खुद को,

धरा को भी,

किस बात से उगल रहा आग है,

सारी सृष्टि के जीव परेशान हैं,

कोई राहत नहीं धूप से बेचैन हैं,

पेड पौधे फूल मुरझा गये हैं सभी,

सूरज के क्रोध से जल रहे हैं सभी,

सूर्य देव के गुस्से का आगाज है,

आज सूरज धरती से नाराज हैं ।

प्रकृति में भी क्रोध का है सृजन,

इसलिये कहीँ भूकम्प,

कहीं ताप का अगन,

कहीं सैलाब तो कहीं ज्वालामुखी,

सृष्टि का जीव से ऐसा लगाव है,

नाराजगी का छोटा सा अंदाज है ।

आज सूरज धरती से नाराज है ।।

Surya angry:
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