
अपने अपने हिस्से का बोझ उठाना होगा
आज मायूस हो तो कल मुस्कराना होगा,
कोई वक्त सदा टिक कर रहता नहीं
उसकी टिक टिक में वक्त चाल बदलता
रहता,
गम के बोझ को उतार फेंको
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अपने अपने हिस्से का बोझ उठाना होगा
आज मायूस हो तो कल मुस्कराना होगा,
कोई वक्त सदा टिक कर रहता नहीं
उसकी टिक टिक में वक्त चाल बदलता
रहता,
गम के बोझ को उतार फेंको