अपना दुख सब भूलकर
तेरे आंचल में अपना सिर रखकर,
रातभर मैं सोया था,
मैं रात नहीं रोया था, मैं रात नहीं रोया था ।
तू जननी ममता की देवी,
अपने आंचल में सुख ह
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अपना दुख सब भूलकर
तेरे आंचल में अपना सिर रखकर,
रातभर मैं सोया था,
मैं रात नहीं रोया था, मैं रात नहीं रोया था ।
तू जननी ममता की देवी,
अपने आंचल में सुख ह