अपने मंसूबे ही बनाते हैं,
अपना मुकद्दर,
यह सच , जानते हैं सब मगर,
दर दर भटकते हैं मंजिल की,
तलाश में,
मंजिल उन्हें ही मिलती है,
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अपने मंसूबे ही बनाते हैं,
अपना मुकद्दर,
यह सच , जानते हैं सब मगर,
दर दर भटकते हैं मंजिल की,
तलाश में,
मंजिल उन्हें ही मिलती है,