लेखनी से जब शब्द निकले
जीवन छंद बन जाएं,
अन्याय, अत्याचार के लिए
शमशीर बन जाए,
बगावत की लौ बन जाए
अधिकार की ज्योति,
परिवर्तन की मशाल बनकर
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शमशीर बन जाए,
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