इंसान अपने ही कर्मों से अपनी
पहचान बनाता है,
हमारे कर्म ही हमारे व्यक्तित्व का
परिचायक बनते हैं,
बांस देखा है आप सबने,
उसी बांस को चीर कर तीर बनाकर,
औरों को घायल करने का औजार
बनाया जा सकता
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पहचान बनाता है,
हमारे कर्म ही हमारे व्यक्तित्व का
परिचायक बनते हैं,
बांस देखा है आप सबने,
उसी बांस को चीर कर तीर बनाकर,
औरों को घायल करने का औजार
बनाया जा सकता