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कलम कुछ बोल

"कलम कुछ बोल"

कलम आज कुछ तो बोल,

जिनके चेहरे पर है खामोशी,

भूख गरीबी में भरी उदासी,

इनके दर्द की दास्ताँ तोल,

कलम आज कुछ तो बोल ।


अन्धों की इस सूनी बस्ती में,

जिन्दगी की मिटती हस्ती में,

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