
बीते दिन और रात बीते साल दर साल
ना बदला समाज ना बदला रिवाज
बस बदला है कुछ तो कैलेंडर का साल,
नई आशा से करते हैं लोग इंतजार
नए साल में बदलेगा
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बीते दिन और रात बीते साल दर साल
ना बदला समाज ना बदला रिवाज
बस बदला है कुछ तो कैलेंडर का साल,
नई आशा से करते हैं लोग इंतजार
नए साल में बदलेगा