
कहने को कुछ भी कह जाते हैं लोग
अपने अपने गुनाह पर पर्दा डालते हैं लोग
इल्जाम एक दूजे पर लगाते हैं रहनुमा
अपने जिम्मेदारियों से नजरें चुराते हैं लोग ।
अपराध को बढ़ावा राजनीति का छलावा
अपराधी मानसिकता से जीत का दावा
लो
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