हालात यूं बिगड़ जायेंगे
कभी सोचा नहीं था
देश के हर कोने में आक्रोश का
उबाल कभी सोचा नहीं था,
इस मुल्क का हर शख्स जिम्मेदार है
इस हालात के मंजर का
मजहब ही किरदार होगा
कभी
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हालात यूं बिगड़ जायेंगे
कभी सोचा नहीं था
देश के हर कोने में आक्रोश का
उबाल कभी सोचा नहीं था,
इस मुल्क का हर शख्स जिम्मेदार है
इस हालात के मंजर का
मजहब ही किरदार होगा
कभी