हसरतें's image

इंसान की हसरतें कभी पूरी

नहीं होती

दरख़्त के नए पत्तों की तरह

रोज नए निकल आते हैं

फिर नई ख्वाहिशों के भंवरजाल

में इंसान उलझ जाता है

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