हजारों तलवारें तन गई हैं उनपर
लोकतंत्र के हिमायती ठेकेदारों के
खुद से खींचते हैं नई लकीरें राष्ट्रवाद के
औरों पर राष्ट्रद्रोह का इल्जाम लगाते हैं ।
देश के सम्मान का हर देशवासी
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हजारों तलवारें तन गई हैं उनपर
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खुद से खींचते हैं नई लकीरें राष्ट्रवाद के
औरों पर राष्ट्रद्रोह का इल्जाम लगाते हैं ।
देश के सम्मान का हर देशवासी
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