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गुलाब की दास्ताँ

गुलाब के खिले

सुन्दर मनमोहक

फूलों से मैने पूछा

भाई तुम्हारे शरीर में

कांटे धसे हुए हैं आप

को दर्द नहीं होता ?

फूलों ने मुस्कराकर कहा

हमने नियति को स्वीकार

कर लिया है फिर दर्द और क्षोभ

क्यों ?

हम तो हर हाल में खिलखिलाते

मुस्कराते हैं और सन्देश देते हैं

की खुश रहना ही जीवन का<

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