![गुलाब की दास्ताँ's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40sahdeo-singh/None/images_5_04-11-2021_12-49-50-PM.jpeg)
गुलाब के खिले
सुन्दर मनमोहक
फूलों से मैने पूछा
भाई तुम्हारे शरीर में
कांटे धसे हुए हैं आप
को दर्द नहीं होता ?
फूलों ने मुस्कराकर कहा
हमने नियति को स्वीकार
कर लिया है फिर दर्द और क्षोभ
क्यों ?
हम तो हर हाल में खिलखिलाते
मुस्कराते हैं और सन्देश देते हैं
की खुश रहना ही जीवन का<
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