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"घायल परिंदा हूं "

एक परिंदा आकाश में स्वछंद,

उड रहा अचानक धरती पर आ गिरा,

किसी ने तीर ऐसा चलाया,

की परकटा धरती पर आ गिरा,

पंख घायल हो गये ऐसे,

की अब उड नहीं सकता जीवन भर,

एक हसरत भरी निगाहों में,

दर्द से तड़पता अश्रु भर ,एक सवाल था उसकी निगाहों में,

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